Sunday, March 24, 2019

Murder by Mali Muslims

मुसलमानों का जिहाद अपना काम मौन रह कर सधे ढंग से कर रहा है। गर्भवती स्त्रियों, बच्चों सहित माली में 100 से ऊपर लोग मार दिये गये हैं। शुतुर्मुर्ग वैश्विक मीडिया में कहीं भी कोई रव नहीं है, सारे मानवाधिकारी मौन हैं क्योंकि इससे इस्लाम का वास्तविक रूप पुन: सिद्ध होगा। 
न्यूजीलैण्ड की घटना एवं कथित इस्लामोफोबिया प्रचार से मानसिक रूप से कुंद सभ्य संसार मौन है। 
माली नहीं जानते? माली अफ्रीका के सबसे सभ्य क्षेत्रों में एक है जहाँ टिम्बकटू है। टिम्बकटू के समृद्ध विद्वत इतिहास को जानना हो तो timbuktu manuscripts लिख कर गुगल अनुसंधान करें। 
विडम्बना ही है कि जिस इस्लामी सम्पर्क से टिम्बकटू की बौद्धिक समृद्धि मध्यकाल में शिखर पर पहुँच गयी, वही इस्लाम वहाँ की सात लाख पाण्डुलिपियों का शत्रु हो गया जिन्हें जाने कैसे कैसे यत्न कर बचाया गया। 
टिम्बकटू इस तथ्य का प्रमाण है कि इस्लाम के रहते सभ्यता एवं संस्कृति सुरक्षित नहीं हैं, भले ही उनको कभी इस्लाम ने ही न समृद्ध किया हो। मात्र 50000 की जनसंख्या वाला टिम्बकटू सांस्कृतिक, मजहबी एवं राजनीतिक शोध के लिये बहुत ही उपयुक्त नगर है। माली देश की स्थिति यह है कि संयुक्त राष्ट्र एवं पश्चिमी सैन्य उपस्थिति के रहते हुये भी वहाँ जिहादी हिंसा रुक नहीं रही। 
क्या आप सिंध से उठाई गयी हिंदू लड़कियों, कश्मीर में आतंक, भारत की किसी भी जामा मस्जिद के निकटवर्ती क्षेत्रों में व्याप्त सामान्य भय एवं गुण्डागर्दी, माली की हिंसा, यूरोप में 51 बच्चों से भरी बस को आग लगा कर नष्ट कर देने के प्रयास एवं ऐसे जाने कितनी ही वैश्विक समस्याओं एवं घटित में एक सार्व तत्व देख पा रहे हैं? देख पा रहे हैं कि ये सभी नाभिनालबद्ध हैंं? क्या उसे स्पष्ट रूप से आप कह सकते हैं? 
मस्तिष्क को विस्तार दें तथा वाणी को कष्ट, खुल कर कहें कि वह सार्व तत्त्व इस्लाम है तथा उसके जिहाद में लिप्त सभी योद्धा मुसलमान हैं।
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https://www.jihadwatch.org/2019/03/mali-muslims-murder-over-100-people-including-pregnant-women-and-small-children-in-jihad-assaults-on-two-villages

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