काले छेद से कुछ नहीं बचता। काला छेद समय तक खा जाता है। आधी शताब्दी खा गया! काले छेद द्वारा ये ये लील लिये गये:
(1) चेतना कि हमें भी विकसित होना है।
(2) परम्परा, इतिहास, माटी से प्रेम, शत्रु मित्र के अभिज्ञान की क्षमता, उद्योगधर्मिता, शील, सदाचार, नवोन्मेषी मेधा।
(3) दिन प्रतिदिन बहते स्वेद एवं रक्त के फल।
(4) स्वाभिमान, संगठन, सम्यक बोध
काला छेद अपने जैसे लघु विवर भी जनता रहा जो उससे जो भी बचा खुचा था, लील गये। ऐसा नहीं था कि काले छेद की वास्तविकता से सभी अपरिचित रहे। सैद्धान्तिक रूप से उसकी वास्तविक चरित्र को कितनों ने उजागर किया किन्तु काले छेद का सम्मोहन ऐसा था कि लोग अबूझ बने रहे। सम्मोहन निकटता का था। काले छेद के निकट होते ही सबसे पहले भला बुरा समझने की चेतना लुप्त हो जाती है। वस्तुत: जो जो वह लीलता है, वही उसके बने रहने के कारक हैं। लोग उसके निकट न जायें, आहार न प्रदान करें तो काला छेद अन्तर्विस्फोट से समाप्त हो जाये।
काला छेद अमरबेल की भाँतो जन जन की शक्ति चूस कर समृद्ध होता रहा। उसके कारण एक नयी तिरस्कारी अवधारणा का जन्म हुआ - 'हिंदू विकास दर'।
पाँच वर्ष पूर्व काले छेद के रहस्य से यवनिका हटनी प्रारम्भ हुई तथा उस काल का अंत होने तक काले छेद की वास्तविक छवि सबके समक्ष थी। जो केवल सैद्धान्तिक था, अनेक जन की समझ से बाहर था, उसका रूप इस प्रकार सामने रख दिया गया, मानों चित्र हो।
जी हाँ, वह काला छेद भारत का राजनीतिक दल 'कांग्रेस' है। गत पाँच वर्षों में इस राष्ट्र के चहुँमुखी विकास ने दिखा दिया है कि आधी शताब्दी तक कांग्रेस ने कितना कुछ लील लिया! पाँच वर्षों के प्रकाशित वलय ने कांग्रेस रूपी काले छेद का रूप सबके समक्ष रख दिया।
इस काले छेद के निकट न जायें, लील लिये जायेंगे। इसकी मृत्यु केवल इसके द्वारा ही हो सकती है, इसे अपनी मृत्यु मरने दें।
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आप आगे के पाँच वर्षों के लिये सरकार चुनने जा रहे हैं। कांग्रेस रूपी काले छेद की वास्तविकता को जान कर अपने हित उसके विनाश हेतु मतदान करें। यह मात्र संयोग नहीं है कि सुदूर ब्रह्माण्ड में, अंतरिक्ष में स्थित एक ऐसे काले छेद का वास्तविक चित्र पहली बार वैज्ञानिक सामने ला पाये हैं जिससे कि द्रव्य तो द्रव्य, प्रकाश तक नहीं बच पाता।
लोकसभा चुनावों के इस कालखण्ड में अंतरिक्षीय काले छेद का वास्तविक चित्र पहली बार बनाया जाना नियति का संदेश है कि मतदान सोच समझ कर करें, अपना एवं देश का भाग्य चमकाने के लिये करें, अपनी मृत्यु मरते भारत के काले छेद कांग्रेस को क्रूर नियति के हाथों सौंप दें। कांग्रेस का नेतृत्त्व न केवल मानसिक रूप से विपन्न है वरन भ्रष्ट एवं निर्लज्ज भी है। निर्णय आप का, देश आप का, भाग्य आप का।
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