Monday, May 6, 2019

अक्षय तृतीया पर : तीन अभिशप्त राम


पारम्परिक इतिहास में तीन राम हुये हैं :
(1) भृगुवंशी महर्षि जमदग्नि के पुत्र जामदग्न्य राम।
(2) इक्ष्वाकुवंशी दशरथ के पुत्र दाशरथि राम।
(3) वृष्णिवंशी वसुदेव के पुत्र वासुदेव राम।

उल्लेखनीय है कि तीनों दशावतार में आते हैं तथा भारतीय इतिहास का यह विचित्र सत्य है कि तीनों के कथानक को या तो स्वार्थ वश या कलह में या जातिवाद के प्रभाव में या समय की माँग के अनुसार कलंकित कर दिया गया जिनसे उनका मूल चरित्र ही दूषित हो गया तथा आज परम्परा के जड़ अनुयायी इस कार्य के औचित्य को सिद्ध करने हेतु जाने कितनी व्याख्यायें रचते हैं किंतु मूल ग्रंथों के वर्णन में सत्य झाँकता ही रहता है जिसे झुठलाया नहीं जा सकता।

भार्गवों के ऋग्वैदिक आप्री सूक्त के पिता के साथ संयुक्त द्रष्टा राम जामदग्न्य को प्रतिहिंसक, क्रूर एवं अहंकारी 'परशुराम' बना दिया गया जिसने इक्कीस बार धरा से क्षत्रियों का संहार किया तथा निर्दोषों के रक्त से समंतपञ्चक क्षेत्र में पाँच कुण्ड भर दिये।
उस रक्त से ही उन्हें पितरों का तर्पण करने वाला बताया गया। यह राम गर्भस्थ शिशुओं का भी संहार कर डालता है!

रावण जैसे नृशंस एवं बर्बर राक्षस का संहार करने वाले दाशरथि राम से द्वेष वश पत्नी सीता की अग्निपरीक्षा दर्शाई गयी तथा उसके लिये मानवीय रामायण में असम्भव दिव्य प्रसंग जोड़ा गया। उतने से संतोष न हुआ तो पुन: धोबी के कहने से त्याग कराया गया तथा अंतत: पुन: सतीत्व की परीक्षा देने से पूर्व ही सीता द्वारा भूमि प्रवेश दर्शाया गया। किसी भी उदात्त पुरुषोत्तम चरित्र को दूषित करने का ऐसा उदाहरण इतिहास में नहीं मिलेगा।

आख्यानों एवं पुराणों की कुशीलव परम्परा में यश:गान करने वाले सूत लोमहर्षण से ऋषियों ने भी पुराण सुने एवं सीखे। सूत तो प्रतिलोमज होता है, कैसे सहन होता? तब तीसरे अवतार वासुदेव संकर्षण राम द्वारा मद्यपान एवं विहार की स्थिति में सूत का वध दर्शाया गया, तब जब कि वह ऋषियों को कथा सुना रहे थे।
बलराम कहे जाने वाले संकर्षण के मुख से उनका यह अपराध बताया गया कि नीचकुलजन्मा हो कर ऋषियों से आदृत होता उन्हें कथा सुनाता है!
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अक्षय तृतीया का उद्देश्य जो हो, अब यह तिथि इन तीन अवतारी रामों पर लगी कालिख को मिटाने हेतु प्रयुक्त होनी चाहिये।    

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